लोभी सदा दुःखी | Inspirational Story | Success Tips To You

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 लोभी सदा दुःखी  | Inspirational Story | Success Tips To You

बहुत पुरानी बात है | राजा विक्रम सिंह के राज्य में प्रजा बढ़ी खुशहाल थी | प्रजा का हाल जानने के लिए खुद राजा विक्रम वेश बदलकर अपने मंत्री के साथ निकला करते थे | एक बार राजा शाम के समय वेश बदलकर बाजार की तरफ निकल गए | उन्होंने दुकान में व्यक्ति को उदास बैठे देखा तो उससे पूछा , भाई ,उदास क्यों बैठे हो ? दुकानदार राजा को पहचान नहीं पाया |

Lobhi Sada Dukhi - Inspirational Story In Hindi - Success Tips To You
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वह बोला , भाई , मैंने सर्दियों में बेचने के लिए 700 दुशाले खरीदे थे | लेकिन इस बार सर्दियां पड़ी ही नहीं तो मेरे दुशाले कौन खरीदता ? मैंने अपना बहुत सा पैसा इन दुशालों पर लगा दिया | यदि ये नहीं बिके तो मेरा क्या होगा ? मुझे यह चिंता सताए जा रही है | राजा को यह सुन बड़ा दुःख हुआ | दूसरे दिन उन्होंने अपने दरबार में घोषणा करवा दी , सभी सभासदों को आज से तीसरे दिन नया दुशाला पहनकर आना है | जो नहीं पहनकर आएगा उसे हज़ार अशर्फियों का दंड दिया जाएगा |

लोभी सदा दुःखी  | Inspirational Story | Success Tips To You

सभी सभासद एक - एक कर उस दुकान पर दुशाले खरीदने पहुंचने लगे | शुरू में दुकानदार ने दुशालों की किमत 100 अशर्फी रखी | जब ज्यादा दुशाले बिकने लगे तो वह दो सौ तीन सौ.......बढ़ाता गया | दुकानदार के सभी दुशाले बिक गए थे | एक दुशाला उसने अपने लिए रख लिया था | अंतिम दिन मंत्री पहुंचे तो दुकानदार ने एक बचा हुआ दुशाला भी आठ सौ अशर्फियों में बेच दिया |

लोभी सदा दुःखी  | Inspirational Story | Success Tips To You

इसके बाद राजा ने सोचा कि अब तो दुकानदार खुश होगा | वह वेश बदलकर फिर बाजार गए तो देखा कि दुकानदर फिर उदास बैठा है | राजा ने पूछा ,मित्र , लगता है सारे दुशाले बिक गए | अब तुम्हें क्या परेशानी है ? दुकानदार बोला , मित्र अचानक ही इन दो दिनों में मेरे सभी दुशाले बिक गए | यहां तक कि मेरा आखिरी दुशाला आठ सौ अशर्फियों में बिका | दुकानदार की बात के बीच में ही राजा उत्सुकता से बोले , पर फिर क्या हुआ ? तुम्हें तो खुश होना चाहिए |

Lobhi Sada Dukhi Inspirational Story Success Tips To You
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दुकानदार बोला बात दरअसल यह है कि यदि मैं शुरू से ही आठ सौ में दुशाला बेचता तो बहुत धनवान होता | अब मुझे अफ़सोस हो रहा है | राजा ने मंत्री को देखा और वहां से चल दिए | रास्ते में मंत्री बोला महाराज बात किसी की आवश्यकता की हो तो उसे पूरा किया जा सकता है | परंतु जब लोभ मन में हो तो उसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती | यह आदमी हमेशा ही उदास और दुखी रहेगा | राजा ने मुस्कुराकर कहा मंत्री जी आप सही कह रहे हो | दोनों बात करते हुए आगे निकल गए |

इस कहानी से हमें भी सीख लेनी चाहिए की संतोष ही सुखी और खुश रहने का राज हैं | 



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